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Neem Karoli Baba | बाबा नीम करोली जीवन परिचय एवं रोचक जानकारियाँ

जीवन परिचय एवं रोचक जानकारियाँ         जीवन परिचय बाबा नीम करोली जी के बचपन का नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था और इनके पिता का नाम श्री दुर्गा प्रसाद शर्मा था। बाबा का जन्म सन 1900 में उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गाँव में हुआ था।  बाबा की शुरुआती  शिक्षा अकबरपुर गाँव में ही हुई थी। 11 वर्ष की आयु में इनकी शादी कर दी गई थी।  17 वर्ष की उम्र में वे आध्यात्म की तरफ मुड़ गए और वे हनुमानजी को अपना आराध्य मानते थे।  1958 में बाबा ने अपने घर को त्याग दिया और पूरे उत्तर भारत में साधुओं की तरह विचरण करने लगे। उस दौरान उन्हें लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा और तिकोनिया वाले बाबा सहित कई नामों से जाना-जाने लगा। जब उन्होंने गुजरात के ववानिया मोरबी में तपस्या की तो वहां उन्हें तलईया बाबा के नाम से पुकारते थे। उत्तराखंड के नैनीताल के पास कैंची धाम में बाबा नीम करोली पहली बार 1961 में यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहाँ आश्रम बनाने का विचार किया, बाबा नीम करोली ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा नीम करोली जी के द...

Neem Karoli Baba | बाबा नीम करोली जीवन परिचय एवं रोचक जानकारियाँ

जीवन परिचय एवं रोचक जानकारियाँ

       जीवन परिचय

बाबा नीम करोली जी के बचपन का नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था और इनके पिता का नाम श्री दुर्गा प्रसाद शर्मा था। बाबा का जन्म सन 1900 में उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गाँव में हुआ था। बाबा की शुरुआती शिक्षा अकबरपुर गाँव में ही हुई थी। 11 वर्ष की आयु में इनकी शादी कर दी गई थी। 

17 वर्ष की उम्र में वे आध्यात्म की तरफ मुड़ गए और वे हनुमानजी को अपना आराध्य मानते थे। 1958 में बाबा ने अपने घर को त्याग दिया और पूरे उत्तर भारत में साधुओं की तरह विचरण करने लगे। उस दौरान उन्हें लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा और तिकोनिया वाले बाबा सहित कई नामों से जाना-जाने लगा। जब उन्होंने गुजरात के ववानिया मोरबी में तपस्या की तो वहां उन्हें तलईया बाबा के नाम से पुकारते थे।

उत्तराखंड के नैनीताल के पास कैंची धाम में बाबा नीम करोली पहली बार 1961 में यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहाँ आश्रम बनाने का विचार किया, बाबा नीम करोली ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी।

बाबा नीम करोली जी के दो पुत्र और एक पुत्री हैं।  बड़े बेटे अनेक सिंह अपने परिवार के साथ भोपाल में रहते हैं, जबकि छोटे पुत्र धर्म नारायण शर्मा वन विभाग में रेंजर के पद पर रहे थे। हाल ही में उनका निधन हो गया है।

नीम करोली बाबा ने अपने शरीर का त्याग 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में किया था। नीम करोली बाबा का समाधि स्थल नैनीताल के पास पंतनगर में है, यह एक ऐसी जगह है जहां कोई भी मुराद लेकर जाए तो वह खाली हाथ नहीं लौटता।  यहाँ पर बाबा नीम करोली की एक भव्य मूर्ति भी स्थापित की गयी है।

रोचक जानकारियाँ

1. एक बार नीम करोली बाबा फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफर कर रहे थे। जब टिकट चेकर आया तो बाबा के पास टिकट नहीं था, तब बाबा को अगले स्टेशन 'नीब करोली' में ट्रेन से उतार दिया गया। बाबा थोड़ी दूर पर ही अपना चिपटा धरती में गाड़कर बैठ गए। बाद में जब ट्रेन को चलाने का आर्डर दिया और गार्ड ने ट्रेन को हरी झंडी दिखाई, परंतु ट्रेन एक इंच भी अपनी जगह से नहीं हिली। बहुत प्रयास करने के बाद भी जब ट्रेन नहीं चली तो लोकल मजिस्ट्रेट जो बाबा को जानता था, बाबा से माफी मांगने और उन्हें सम्मान पूर्वक अंदर लाने को कहा। ट्रेन में सवार अन्य लोगों ने भी मजिस्ट्रेड का समर्थन किया। टिकट चेकर ने जब बाबा से माफी मांगी और उन्हें ससम्मान ट्रेन में बैठाया, ट्रेन में बाबा के बैठते ही ट्रेन चल पड़ी। तभी से बाबा का नाम नीम करोली पड़ गया। नीम करोली वाले बाबा के सैंकड़ों चमत्कार के किस्से हैं।

2. 15 जून को देवभूमि कैंची धाम में मेले का आयोजन होता है और यहां पर देश-विदेश से बाबा नीम करोली के भक्त आते हैं। इस धाम में बाबा नीम करौली के भक्त बाबा को भगवान हनुमानजी का अवतार मानते है। देश-विदेश से हजारों भक्त यहाँ हनुमान जी का आशीर्वाद लेने आते हैं। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान जी का भव्य मन्दिर बनवाया। बाबा नीम करोली हनुमानजी के परम भक्त थे और उन्होंने देशभर में हनुमानजी के लगभग 108 मंदिर बनवाए थे।

3. नीम करोली बाबा के भक्तों में दुनिया के मशहूर लोगो में एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्क और हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स, भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली का नाम लिया जाता है। कहा जाता है कि इस धाम की यात्रा करके उनका जीवन बदल गया।

4. नीम करोली बाबा किसी को अपना पैर छूने नहीं देते थे, जो कोई भी भक्त बाबा के पैर छूने के लिए आगे बढ़ता था वो उसको रोक देते थे, वो कहते थे कि मेरी जगह हनुमान जी का पैर छुओ…वही कल्याण करेंगे।

5. रिचर्ड एलपर्ट (रामदास) बाबा नीम करोली जी के परम भक्त ने नीम करोली बाबा के चमत्कारों पर 'मिरेकल ऑफ़ लव' नामक एक किताब लिखी इसी में 'बुलेटप्रूफ कंबल' नाम से एक घटना का जिक्र है। बाबा हमेशा कंबल ही ओड़ा करते थे। आज भी लोग जब उनके मंदिर जाते हैं तो उन्हें कंबल भेंट करते हैं।

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जय श्री राम | जय श्री हनुमान | जय श्री बाबा नीम करोली


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